भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
"[[कोई तो बादल सा बरसे / गुलाब सिंह]]" सुरक्षित कर दिया (‎[edit=sysop] (बेमियादी) ‎[move=sysop] (बेमियादी))
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
कोई तो बादल -सा बरसे
धरती को शीतल कर जाए।
शब्दों-से दो कोमल पत्ते-
निकलें, सृष्टि कथा कह पाये।पाए।
जंगल है या
वत्सल बाँहें
मुक्त हँसी
आत्मीय अपरिचय किसे याद हैहैं
भूत-भविष्यत से हट कोई
वर्तमान पल तक तो आए!
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits