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"अपने अपने कान बंधक रख दो,ऑंखें फोड़ लो / रमेश 'कँवल'" के अवतरणों में अंतर

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21:29, 8 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

अपने अपने कान बंधकर रख लो, आंखें फोड़ लो
वक़्त के बेरहम मौसम से ही नाता जोड़ लो

अपने होठों पर सजा लो बर्फ़ की गहरीत हें
देश हित की भावना की धूप से मुंह मोड़ लो

इन दिनों जब बेचते फिरते है सब अपना ज़मीर1
तुम भी बेशर्मी के आगे हाथ अपने जोड़ लो

टहनियों के दर्द से आगाह2 होना है फि़ज़ूल3
अधखिली कलियां दमकते फूल फ़ौरन तोड़ लो

जिस्म की खुशबू सुगंधित आत्मायें ले उड़ीं
उड़ते गिध अब तुम भी जि़ंदा शव से रिश्ता जोड़ लो


1. अन्तरात्मा 2. अवगत 3. व्यर्थ।