भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
<div style="font-size:120%; color:#a00000"> | <div style="font-size:120%; color:#a00000"> | ||
− | + | धार</div> | |
<div> | <div> | ||
− | रचनाकार: [[ | + | रचनाकार: [[अरुण कमल]] |
</div> | </div> | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | कौन बचा है जिसके आगे | |
− | + | इन हाथों को नहीं पसारा | |
− | + | यह अनाज जो बदल रक्त में | |
− | + | टहल रहा है तन के कोने-कोने | |
+ | यह कमीज़ जो ढाल बनी है | ||
+ | बारिश सरदी लू में | ||
+ | सब उधार का, माँगा चाहा | ||
+ | नमक-तेल, हींग-हल्दी तक | ||
+ | सब कर्जे का | ||
+ | यह शरीर भी उनका बंधक | ||
− | + | अपना क्या है इस जीवन में | |
− | + | सब तो लिया उधार | |
− | + | सारा लोहा उन लोगों का | |
− | + | अपनी केवल धार । | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
</poem> | </poem> | ||
</div></div> | </div></div> |
14:06, 16 फ़रवरी 2014 का अवतरण
धार
रचनाकार: अरुण कमल
कौन बचा है जिसके आगे
इन हाथों को नहीं पसारा
यह अनाज जो बदल रक्त में
टहल रहा है तन के कोने-कोने
यह कमीज़ जो ढाल बनी है
बारिश सरदी लू में
सब उधार का, माँगा चाहा
नमक-तेल, हींग-हल्दी तक
सब कर्जे का
यह शरीर भी उनका बंधक
अपना क्या है इस जीवन में
सब तो लिया उधार
सारा लोहा उन लोगों का
अपनी केवल धार ।