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"अब इस दयार में इन ही का बोलबाला है / नवीन सी. चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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13:53, 26 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

अब इस दयार में इन ही का बोलबाला है
हमारा दिल तो ख़यालों की धर्मशाला है

 

नज़ाकतों के दीवाने हमें मुआफ़ करें
हमारी फ़िक्र दुपट्टा नहीं, दुशाला है

 

उसे लगा कहीं किरनें न उस की खो जाएँ
सो आफ़ताब ने जङ्गल उजाड़ डाला है

 

यक़ीन जानो कि वो मोल जानता ही नहीं
शदफ़ के लाल को जिसने कि बेच डाला है

 

गुहर तलाश करें किसलिये समन्दर में
जब अपना दिल ही नहीं ठीक से खँगाला है

 

क़ुसूर सारा हमारा है, हाँ हमारा ही
मरज़ ये फर्ज़ का ख़ुद हमने ही तो पाला है

 

हमारी ख़ुद की नज़र में भी चुभ रहा था बहुत
लिहाज़ा हमने वो चोला उतार डाला है