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"हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर

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इतनी हसीन, इतनी जवाँ रात, क्या करें ?
 
 
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात, क्या करें ?
 
 
 
पेड़ों के बाजुओं में महकती है चांदनी
 
 
बेचैन हो रहे हैं ख़यालात क्या करें ?
 
 
 
साँसों में घुल रही है किसी साँस की महक
 
 
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें ?
 
 
 
शायद तुम्हारे आने से यह भेद खुल सके
 
 
हैराँ हैं कि आज नई बात क्या करें ?
 

12:18, 23 नवम्बर 2007 का अवतरण