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"आदमी / धीरेन्द्र अस्थाना" के अवतरणों में अंतर

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15:28, 26 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

घर की पुरानी दीवारों सा,
अब ढहने लगा है आदमी !

बहुत ढो चुका रिश्तों का बोझ,
अब दबने लगा है आदमी !

जिन्दगी के हादसों में टूटकर
बिखरने लगा है आदमी !

अपनों में रहकर भी अजनबी
सा लगने लगा है आदमी !

घर की पुरानी दीवारों सा,
अब ढहने लगा है आदमी !