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"ख़ामोशी / धीरेन्द्र अस्थाना" के अवतरणों में अंतर

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15:30, 26 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

दिल रो उठे फिर से,
न छेड़ो ऐसा साज कोई!


किसी तमन्ना पे तुझको,
हो न जाय ऐतराज कोई !


आज भी मोहब्बत को
यूँ ही रहने दो पाकीज़ा !


बेहतर है ख़ामोशी लबों की,
बयाँ न हो जाय राज कोई !