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"दामन छुड़ा के चल दिए / धीरेन्द्र अस्थाना" के अवतरणों में अंतर

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15:53, 26 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

उम्र भर का गम उठाने की बात करते थे वो कभी ,
दौर-ए-गम शुरू हुआ नही , दामन छुड़ा के चल दिए !


अक्सर मेरे काँधे पे होता था उनका सर और,
जब जरूरत हुयी उनकी , बातें बना के चल दिए !


कभी मेरा तो कभी गैरों का शिकवा करते वो ,
मेरे हाल की कौन सुने , अपने सुना के चल दिए !