भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चोटी / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

22:32, 17 मार्च 2014 का अवतरण

 जो समय के साथ चल पाते नहीं।

टल सकी टाले न उन की दुख-घड़ी।

छीजती छँटती उखड़ती क्यों नहीं।

जब कि चोटी तू रही पीछे पड़ी।

निज बड़ों के सँग बुरा बरताव कर।

है नहीं किस की हुई साँसत बड़ी।

क्यों नहीं फटकार सहती बेहतर।

जब कि चोटी मूँड़ के पीछे पड़ी।