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"माथा / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर

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छूट पाये दाँव-पेचों से नहीं।
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औ पकड़ भी है नहीं जाती सही।
 
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हम तुम्हें माथा पटकते ही रहे।
 
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पर हमारी पीठ ही लगती रही।
 
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चाहिए था पसीजना जिन पर।
 
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लोग उन पर पसीज क्यों पाते।
 
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जब कि माथा पसीज कर के तुम।
 
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हो पसीने पसीने हो जाते।  
 
हो पसीने पसीने हो जाते।  
 
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01:09, 19 मार्च 2014 के समय का अवतरण

छूट पाये दाँव-पेचों से नहीं।
औ पकड़ भी है नहीं जाती सही।
हम तुम्हें माथा पटकते ही रहे।
पर हमारी पीठ ही लगती रही।

चाहिए था पसीजना जिन पर।
लोग उन पर पसीज क्यों पाते।
जब कि माथा पसीज कर के तुम।
हो पसीने पसीने हो जाते।