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दूसरों पर जो बिपद ढाती रहे। | दूसरों पर जो बिपद ढाती रहे। | ||
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गाल तेरी वह गोराई जाय जल। | गाल तेरी वह गोराई जाय जल। | ||
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जो बलायें और पर लाती रहे। | जो बलायें और पर लाती रहे। | ||
तो गई धूल में लुनाई मिल। | तो गई धूल में लुनाई मिल। | ||
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औ हुआ सब सुडौलपन सपना। | औ हुआ सब सुडौलपन सपना। | ||
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पीक से बार बार भर भर कर। | पीक से बार बार भर भर कर। | ||
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गाल जब तू उगालदान बना। | गाल जब तू उगालदान बना। | ||
लाल होंगे सुख मिले खीजे मले। | लाल होंगे सुख मिले खीजे मले। | ||
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वे पड़े पीले डरे औ दुख सहे। | वे पड़े पीले डरे औ दुख सहे। | ||
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रंग बदलने की उन्हें है लत लगी। | रंग बदलने की उन्हें है लत लगी। | ||
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गाल होते लाल पीले ही रहे। | गाल होते लाल पीले ही रहे। | ||
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पर सके सब न उलझनों को सह। | पर सके सब न उलझनों को सह। | ||
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है बड़ा गोलमाल हो जाता। | है बड़ा गोलमाल हो जाता। | ||
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गाल मत गोलमोल बातें कह। | गाल मत गोलमोल बातें कह। | ||
है निराला न आँख के तिल सा। | है निराला न आँख के तिल सा। | ||
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और उसमें सका सनेह न मिल। | और उसमें सका सनेह न मिल। | ||
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पा उसे गाल खिल गया तू क्या। | पा उसे गाल खिल गया तू क्या। | ||
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दिल दुखा देख देख तेरा तिल। | दिल दुखा देख देख तेरा तिल। | ||
आब में क्यों न आइने से हों। | आब में क्यों न आइने से हों। | ||
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क्यों न हों कांच से बहुत सुथरे। | क्यों न हों कांच से बहुत सुथरे। | ||
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पर अगर है गरूर तो क्या है। | पर अगर है गरूर तो क्या है। | ||
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गाल निखरे खरे भरे उभरे। | गाल निखरे खरे भरे उभरे। | ||
पीसने के लिए किसी दिल को। | पीसने के लिए किसी दिल को। | ||
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तू अगर बन गया कभी पत्थर। | तू अगर बन गया कभी पत्थर। | ||
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तो समझ लाख बार लानत है। | तो समझ लाख बार लानत है। | ||
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गाल तेरी मुलायमीयत पर। | गाल तेरी मुलायमीयत पर। | ||
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10:03, 19 मार्च 2014 के समय का अवतरण
वह लुनाई धूल में तेरी मिले।
दूसरों पर जो बिपद ढाती रहे।
गाल तेरी वह गोराई जाय जल।
जो बलायें और पर लाती रहे।
तो गई धूल में लुनाई मिल।
औ हुआ सब सुडौलपन सपना।
पीक से बार बार भर भर कर।
गाल जब तू उगालदान बना।
लाल होंगे सुख मिले खीजे मले।
वे पड़े पीले डरे औ दुख सहे।
रंग बदलने की उन्हें है लत लगी।
गाल होते लाल पीले ही रहे।
हैं उन्हें कुछ समझ रसिक लेते।
पर सके सब न उलझनों को सह।
है बड़ा गोलमाल हो जाता।
गाल मत गोलमोल बातें कह।
है निराला न आँख के तिल सा।
और उसमें सका सनेह न मिल।
पा उसे गाल खिल गया तू क्या।
दिल दुखा देख देख तेरा तिल।
आब में क्यों न आइने से हों।
क्यों न हों कांच से बहुत सुथरे।
पर अगर है गरूर तो क्या है।
गाल निखरे खरे भरे उभरे।
पीसने के लिए किसी दिल को।
तू अगर बन गया कभी पत्थर।
तो समझ लाख बार लानत है।
गाल तेरी मुलायमीयत पर।