भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दम / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
क्यों लिया यह न सोच पहले ही।
+
क्यों लिया यह न सोच पहले ही।
 
+
 
आप तुम बारहा बने यम हो।
 
आप तुम बारहा बने यम हो।
 
 
हैं खटकते तुम्हें किये अपने।
 
हैं खटकते तुम्हें किये अपने।
 
 
क्या अटकते इसी लिए दम हो।  
 
क्या अटकते इसी लिए दम हो।  
 
</poem>
 
</poem>

11:14, 19 मार्च 2014 के समय का अवतरण

क्यों लिया यह न सोच पहले ही।
आप तुम बारहा बने यम हो।
हैं खटकते तुम्हें किये अपने।
क्या अटकते इसी लिए दम हो।