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− | + | दूसरे बीर बन भले ही लें। | |
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बीरता तो हमीं दिखाते हैं। | बीरता तो हमीं दिखाते हैं। | ||
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हम उड़ाते अबीर हैं अड़ कर। | हम उड़ाते अबीर हैं अड़ कर। | ||
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और बढ़ कर कबीर गाते हैं। | और बढ़ कर कबीर गाते हैं। | ||
मान मरजाद है मरी जाती। | मान मरजाद है मरी जाती। | ||
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आबरू का निकल रहा है दम। | आबरू का निकल रहा है दम। | ||
− | + | भाँड़ भड़वे बनें न तब कैसे। | |
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जब कि गाने लगे भड़ौवे हम। | जब कि गाने लगे भड़ौवे हम। | ||
भाव के रसभरे कलेजे में। | भाव के रसभरे कलेजे में। | ||
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हैं सुरुचि की जहाँ बहीं धारें। | हैं सुरुचि की जहाँ बहीं धारें। | ||
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गालियों से भरी, बुरी, गंदी। | गालियों से भरी, बुरी, गंदी। | ||
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होलियाँ गा न गोलियाँ मारें। | होलियाँ गा न गोलियाँ मारें। | ||
जाति का मान रह सका जिन से। | जाति का मान रह सका जिन से। | ||
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मान उन का कभी न कर दें कम। | मान उन का कभी न कर दें कम। | ||
− | + | कर धमा चौकड़ी भली रुचि से। | |
− | कर | + | क्यों मचा दें धमार गा ऊधम। |
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− | क्यों मचा दें | + | |
मोड़ लें मुँह न आदमीयत से। | मोड़ लें मुँह न आदमीयत से। | ||
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तोड़ देवें न ढंग का तागा। | तोड़ देवें न ढंग का तागा। | ||
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बात यह कान से सुनें रसिया। | बात यह कान से सुनें रसिया। | ||
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नास रस का करें न 'रसिया' गा। | नास रस का करें न 'रसिया' गा। | ||
− | + | बेसुधे इतने न बन जावें कभी। | |
− | + | जो बुरा धब्बा हमें देवे लगा। | |
− | जो बुरा | + | |
− | + | ||
किस लिए हम ताल पर नाचा करें। | किस लिए हम ताल पर नाचा करें। | ||
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चाल बिगड़े क्यों बुरे चौताल गा। | चाल बिगड़े क्यों बुरे चौताल गा। | ||
− | दल बहँक जाय दिल- | + | दल बहँक जाय दिल-जलों का जो। |
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तो न बरसें उमड़ घुमड़ बादल। | तो न बरसें उमड़ घुमड़ बादल। | ||
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जाय वह मुँह तुरंत जल, जिस में। | जाय वह मुँह तुरंत जल, जिस में। | ||
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गा बुरी कजलियाँ लगे काजल। | गा बुरी कजलियाँ लगे काजल। | ||
माँ, बहन, बेटियाँ निलज न बनें। | माँ, बहन, बेटियाँ निलज न बनें। | ||
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इस तरह से हमें न लजवावें। | इस तरह से हमें न लजवावें। | ||
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हैं लगातार तालियाँ बजती। | हैं लगातार तालियाँ बजती। | ||
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गालियाँ गा न गालियाँ खावें। | गालियाँ गा न गालियाँ खावें। | ||
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18:45, 23 मार्च 2014 के समय का अवतरण
दूसरे बीर बन भले ही लें।
बीरता तो हमीं दिखाते हैं।
हम उड़ाते अबीर हैं अड़ कर।
और बढ़ कर कबीर गाते हैं।
मान मरजाद है मरी जाती।
आबरू का निकल रहा है दम।
भाँड़ भड़वे बनें न तब कैसे।
जब कि गाने लगे भड़ौवे हम।
भाव के रसभरे कलेजे में।
हैं सुरुचि की जहाँ बहीं धारें।
गालियों से भरी, बुरी, गंदी।
होलियाँ गा न गोलियाँ मारें।
जाति का मान रह सका जिन से।
मान उन का कभी न कर दें कम।
कर धमा चौकड़ी भली रुचि से।
क्यों मचा दें धमार गा ऊधम।
मोड़ लें मुँह न आदमीयत से।
तोड़ देवें न ढंग का तागा।
बात यह कान से सुनें रसिया।
नास रस का करें न 'रसिया' गा।
बेसुधे इतने न बन जावें कभी।
जो बुरा धब्बा हमें देवे लगा।
किस लिए हम ताल पर नाचा करें।
चाल बिगड़े क्यों बुरे चौताल गा।
दल बहँक जाय दिल-जलों का जो।
तो न बरसें उमड़ घुमड़ बादल।
जाय वह मुँह तुरंत जल, जिस में।
गा बुरी कजलियाँ लगे काजल।
माँ, बहन, बेटियाँ निलज न बनें।
इस तरह से हमें न लजवावें।
हैं लगातार तालियाँ बजती।
गालियाँ गा न गालियाँ खावें।