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"तुम मेरी विधवा आठ बरस से-4 / नाज़िम हिक़मत" के अवतरणों में अंतर

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21:21, 29 नवम्बर 2007 का अवतरण

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»  तुम मेरी विधवा आठ बरस से-4

बादल गुज़रते हैं : ख़बरों से लदे हुए । भारी

तुम्हारी वह चिट्ठी जो अभी मिली नहीं मुझे, उसे गुड़ी-मुड़ी करता हूँ

दिल के आकार की बरौनियों की नोकों पर :

पुलक उठती है असीम धरती ।

और बहुत ज़ोरों से मन हो रहा है कि चिल्लाऊँ : पी..रे...

पी..रे..


पीरे=नाज़िम हिक़मत की दूसरी पत्नी का नाम