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"पिता / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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12:24, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

याद है
बचपन में खाए
पिता के जबर हाथों का तमाचा
ऐसे मारते थे पिता
कि मारे और रोने भी न दें

पिता की मार से
सीख ली रूलाई को गले में गुटकने की कला

शुक्रगुज़ार हूँ पिता
कि ज़िन्दगी में सबसे ज़्यादा काम आई यह कला