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"बहन / देवयानी" के अवतरणों में अंतर

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14:46, 9 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

एक बहन थी छोटी
उस वक्त की नीली आँखें याद आती हैं
ब्याह दी गई जल्दी ही
गौना नहीं हुआ था अभी
पति मर गया उसका

इक्कीसवीं सदी में
तेजी से विकासशील और परिवर्तनशील इस समाज में
ब्राह्मण की बेटी का नहीं होता दूसरा ब्याह
पिता, भाई, परिवार के रहम पर जीना था उसे

नियति के इस खेल को
बीते बारह सालों से झेल रही थी वह
अब मर गई

फाँसी पर झूलने के ठीक पहले
कौनसा विचार आया होगा उसके मन में आखिरी बार

क्या जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं रहा था
जिसके मोह ने उसे रोक लिया होता

मात्र तीस साल की उम्र में
क्या ऐसा कोई भी सुख नहीं था
जिसे याद कर उसे
जीने की इच्छा हुई होती
फिर एक बार