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"खाइयाँ और रस्सियाँ / देवयानी" के अवतरणों में अंतर

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15:37, 9 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

बाजीगर से नज़र भले ही आते हों
बाजीगरी आती नहीं है हमें

यह ऐसा लगता है मुझे
जैसे स्पाइडर मैन की तरह दौड़ लगाते हुए
पहुँच जाते हैं हम
ऐसे कगारों पर
जहाँ दो इमारतों के बीच
सिर्फ एक डोर बँधी होती है पतली सी
और हमारे पास नहीं होता हुनर
स्पाइडर मैन की तरह
मकड़ी के जाल की रस्सी फेंक
झूल सकें जिसके सहारे
और टार्जन की तरह जा पहुँचे दूसरे सिरे पर

समय हमेशा कम होता है
और पहुँचना ही होता है उस दूसरी इमारत तक
न नीचे गिरने का विकल्प होता है
न पीछे लौटने का
न साथ लाया कोई सामान ही छोड़ सकते हैं कहीं
हम सबके पास अपनी-अपनी खाइयाँ हैं लाँघने के लिए
कोई कम गहरी कोई ज़्यादा
कोई कम चौड़ी कोई ज़्यादा
हम सबके पास हैं रस्सियाँ भी
किसी के पास मजबूत किसी के पास कमज़ोर
हम सब सधे कदम चलते हैं

लड़खड़ाते हैं कभी
कई बार फिसल जाता है पाँव भी
हम हाथ, मुँह, दाँत सबका प्रयोग करते हुए
बनाए रखते हैं खुद को
रस्सी के ऊपर
बने रहते हैं बाजीगर

कुछ लोग हैरान होते हैं जुझारूपन पर
बाजीगर मान लेते हैं हमें
कुछ और लोग
जिनकी अपनी खाइयाँ कुछ सँकरी और कुछ कम गहरी हैं
वे अपनी दुबली रस्सी के सहारे भी जल्दी पार उतर जाते हैं
या सीख लिए हैं उन्होंने पार उतरने के
दूसरे तरीके
वे हँसते हैं हमारी धीमी गति और डगमगाती चाल पर
अपनी खाई के मुहाने से