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"प्रेम-1 / अपर्णा भटनागर" के अवतरणों में अंतर

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14:37, 17 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

ये उसकी खिड़की है
जहां से झाँकने देती है नीली आँखों वाले समंदर को
टिकाने देती है सूरज को अपनी लाल कोहनी
और अपनी नींद को बिठा देती है चिड़िया के मखमली परों पर
क्षितिज के ध्रुव तारे से कह लेती है बात
कि वह प्रेम करती है
और सहसा दूब हंसने लगती है कौतुक से.