भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भजो रे भैया / कबीर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कबीर |संग्रह= }} Category:भजन <poem> भजो रे भ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:44, 20 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
भजो रे भैया राम गोविंद हरी।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत खरचत नहिं गठरी॥
संतत संपत सुख के कारन जासे भूल परी॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख ता मुख धूल भरी॥