भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भोली इच्छाएं-4 / अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनूप सेठी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavit...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:09, 21 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
छुरे और छर्रे
बंदूक और भाले
राइफल और रॉकेट
आग लगे और गल जाएं
पटड़ियां बन बिछ जाए सारा लोहा
तोड़ने वालों की छाती पर दौड़ूं
जोड़ने वालों की बन कर रेल.