भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उद्धार करो भगवान / भजन

31 bytes added, 06:44, 21 अप्रैल 2014
{{KKBhaktiKavyaKKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अज्ञात|अनुवादक=|संग्रह=
}}
{{KKCatBhajan}}
<poem>
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥
उद्धार करो भगवान कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी शरण पड़े ।<br>लगन लगाये।भव पार करो भगवान हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े ॥<br><br>पड़े॥
कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये ।<br>पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते।हृदय जगा दो ज्ञान भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े ॥<br><br>पड़े॥
पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते ।<br>तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी।भटके बीच जहान तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े ॥<br><br>पड़े॥
तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी ।<br>तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े ॥<br><br> ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना ।<br>लगाना।हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े ॥<br>पड़े॥<br/poem>