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जच्चा मेरी भोली / खड़ी बोली

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|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=खड़ी बोली
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जच्चा मेरी भोली –भाली री <br>
 
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री <br>
सास-नणद की चुटिया फाड़ै<br>
 
आई गई का लहँगा री<br>
ससुर –जेठ की मूछैं फाड़ै <br>
 
आए- गए का खेस उतारै<br>
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री<br>
 जच्चा मेरी भोली –भाली री<br>'''>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो<br> मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।<br> सासू की जगह मेरी अम्मा को बुला दियो<br> मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो<br> सासू का नेग मेरी अम्मा को दिला दियो<br> बक्से चाबी मेरी चोटी मैं बाँध दियो<br> मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।<br> ननद की जगह मेरी बहना को बुला दियो<br> ननदण का नेग मेरी बहना को दिला दियो<br> मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।<br>