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14:58, 21 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

आसमान स्याह है
चाँद डूबता सा
ख्वाबीद-ख्वाहिशे जगने लगी
फस्ल-ए-गुल आया भी तो क्या
वस्ल के दिन की आरजू ही रहीं.