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"बरसात-2 / जगदीश चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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00:06, 22 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

तेज़ पानी में
कुछ करने का मन नहीं होता

तबियत होती है
रजाई में क़ैद होकर
टीनों पर गिरती बूँदों का अहसास किया जाए

या सारे कमरे के परदे गिराकर
लाइट जला,
अलबम में लगे तुम्हारे चित्रों को
प्यार किया जाए !