"आप इस छोटे से फ़ितने को जवां होने तो दो / 'अना' क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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इश्क़ की पाकीज़गी को हमज़बां होने तो दो | इश्क़ की पाकीज़गी को हमज़बां होने तो दो | ||
− | सब्र भी टूटे तसल्ली देके | + | सब्र भी टूटे तसल्ली देके गर तोड़े कोई |
− | अश्क भी गिर जायें पलकों पर गिरां होने तो दो | + | अश्क भी गिर जायें पलकों पर गिरां<ref>भरी</ref>होने तो दो |
तुम हमारे दिल के मालिक हो हमें मालूम है | तुम हमारे दिल के मालिक हो हमें मालूम है | ||
पर किरायेदार से ख़ाली मकां होने तो दो | पर किरायेदार से ख़ाली मकां होने तो दो | ||
− | सैकड़ों क़िस्से उठेंगे वाइज़ाने-शहर के | + | सैकड़ों क़िस्से उठेंगे वाइज़ाने-शहर<ref>नगर के मौलाना</ref>के |
तुम शहर में महफ़िले-आवारगां होने तो दो | तुम शहर में महफ़िले-आवारगां होने तो दो | ||
− | फिर उठा देना क़यामत फिर बुलाना हश्र में | + | फिर उठा देना क़यामत फिर बुलाना हश्र <ref>मिर्त्यु पशचात हिसाब का दिन</ref>में |
− | इक दफ़ा आराइशे-बज़्मे-जहां होने तो दो | + | इक दफ़ा आराइशे-बज़्मे-जहां <ref>दुन्या की सजावट</ref>होने तो दो |
फिर तिरी यादें उठें फिर ज़ख़्म के टांके खुलें | फिर तिरी यादें उठें फिर ज़ख़्म के टांके खुलें | ||
− | फिर ग़ज़ल लिक्खूं ज़रा दिल नीमजां होने तो दो | + | फिर ग़ज़ल लिक्खूं ज़रा दिल नीमजां <ref>अधमरा</ref>होने तो दो |
− | वो अधूरा शेर अब तकमील के नज़दीक़ है | + | वो अधूरा शेर अब तकमील<ref>पूरा होना</ref>के नज़दीक़ है |
− | आज उस नामेहरबां को मेहरबां होने तो दो</poem> | + | आज उस नामेहरबां को मेहरबां होने तो दो |
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13:50, 26 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
आप इस छोटे से फ़ितने को जवां होने तो दो
वो भवें चढ़ने तो दो तीरो-कमां होने तो दो
हुस्ऩ की आवारगी पीछे पड़ी है देर से
इश्क़ की पाकीज़गी को हमज़बां होने तो दो
सब्र भी टूटे तसल्ली देके गर तोड़े कोई
अश्क भी गिर जायें पलकों पर गिरां<ref>भरी</ref>होने तो दो
तुम हमारे दिल के मालिक हो हमें मालूम है
पर किरायेदार से ख़ाली मकां होने तो दो
सैकड़ों क़िस्से उठेंगे वाइज़ाने-शहर<ref>नगर के मौलाना</ref>के
तुम शहर में महफ़िले-आवारगां होने तो दो
फिर उठा देना क़यामत फिर बुलाना हश्र <ref>मिर्त्यु पशचात हिसाब का दिन</ref>में
इक दफ़ा आराइशे-बज़्मे-जहां <ref>दुन्या की सजावट</ref>होने तो दो
फिर तिरी यादें उठें फिर ज़ख़्म के टांके खुलें
फिर ग़ज़ल लिक्खूं ज़रा दिल नीमजां <ref>अधमरा</ref>होने तो दो
वो अधूरा शेर अब तकमील<ref>पूरा होना</ref>के नज़दीक़ है
आज उस नामेहरबां को मेहरबां होने तो दो