भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बस एक शख्स ऐसा हो , जो टूट कर वफ़ा करे / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (Shrddha moved page हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे / श्रद्धा जैन to [[बस एक शख्स ऐसा हो , जो टूट कर वफ़ा करे / ...) |
|
(कोई अंतर नहीं)
|
02:11, 30 अप्रैल 2014 का अवतरण
बस एक शख्स ऐसा हो , जो टूट कर वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे
अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो मेरी आँखें मूँद कर, वो पीछे से हंसा करे
मुझे बताए ग़लतियाँ, दिखाए भी वो रास्ता
वो बन के आइना, मुझे हर एक पल दिखा करे
मुझे खफा करे भी वो , मना भी ले दुलार से
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे
वो ख़्वाब पूरे होंगे कब, ये 'श्रद्धा' जानती नहीं
कज़ा से पहले दो घड़ी ख़ुशी की, रब अता करे