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"ईसुरी की फाग-11 / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर
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'ईसुर' दूर दरस के लानें, ऎसे काए ललाते ? | 'ईसुर' दूर दरस के लानें, ऎसे काए ललाते ? |
21:56, 10 मार्च 2008 का अवतरण
♦ रचनाकार: ईसुरी
जो तुम छैल, छला हो जाते, परे उंगरियन राते
मौं (मुँह) पौंछत गालन के ऊपर, कजरा देत दिखाते
घरी-घरी घूंघट खोलत में, नज़र सामने आते
'ईसुर' दूर दरस के लानें, ऎसे काए ललाते ?