भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बाटियो / घनश्याम नाथ कच्छावा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनश्याम नाथ कच्छावा |संग्रह=मंडा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:49, 14 मई 2014 के समय का अवतरण

जीवण
जियां-
भोबर रै मांय
बळतो बाटियो।
 
भोबर री आंच
इणनैं सेकै
अर
सिकियां पछै इज
खावण रै मांय
लागै सुवाद बाटियो।
 
इण तरियां
दुनियां री भोबर मांय
सांच री आंच माथै
तपियां पछै
बाटियां रै जियां
जीवण निखरै
अर
इण निखर्यै जीवण नैं
पछै सगळी दुनियां निरखै।