भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मन रे परसि हरिके चरण / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:32, 15 मई 2014 के समय का अवतरण

मन रे परसि हरिके चरण।

सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण।
जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥

जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण।
जिण चरण ब्रह्मांड भेटयो नखसिखां सिर धरण॥

जिण चरण प्रभु परसि लीने तेरी गोतम घरण।
जिण चरण कालीनाग नाथ्यो गोप लीला-करण॥

जिण चरण गोबरधन धार।ह्यो गर्व मघवा हरण।
दासि मीरा लाल गिरधर अगम तारण तरण॥