भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"म्हारे घर होता जाज्यो राज / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:48, 15 मई 2014 के समय का अवतरण

म्हारे घर होता जाज्यो राज।
अबके जिन टाला दे जा सिर पर राखूं बिराज॥

म्हे तो जनम जनमकी दासी थे म्हांका सिरताज।
पावणड़ा म्हांके भलां ही पधार, ह्या सब ही सुघारण काज॥

म्हे तो बुरी छां थांके भली छै घणेरी तुम हो एक रसराज।
थांने हम सब ही की चिंता, तुम सबके हो गरीब निवाज॥

सबके मुकुट-सिरोमणि सिर पर मानो पुन्य की पाज।
मीराके प्रभु गिरधर नागर बांह गहे की लाज॥