भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भक्त पर करि कृपा श्री यमुने जु ऐसी / नंददास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंददास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} <poem>...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:49, 16 मई 2014 के समय का अवतरण
भक्त पर करि कृपा श्री यमुने जु ऐसी ।
छांडि निजधाम विश्राम भूतल कियो, प्रकट लीला दिखाई जु तैसी ॥१॥
परम परमारथ करत है सबन कों, देत अद्भुतरूप आप जैसी ।
नंददास यों जानि दृढ करि चरण गहे, एक रसना कहा कहो विसेषी ॥२॥