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"मैं क्यों लिखता हूँ / तादेयुश रोज़ेविच" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=तादेयुश रोज़ेविच |संग्रह=ख़ून ख़राबा उर्फ़ रक्तपा...) |
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03:46, 8 दिसम्बर 2007 के समय का अवतरण
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कभी-कभी 'जीवन' उसे छिपाता है
जो जीवन से ज़्यादा बड़ा है
कभी-कभी पहाड़ उस सबको छुपाते हैं
जो पहाडों के पार है
इसीलिए पहाडों को खिसकाया जाना चाहिए
लेकिन पहाडों को खिसकाने लायक
न तो मेरे पास तकनीकी साधन हैं
न ताकत
न भरोसा
इसलिए मैं जानता हूँ कि आप उन्हें इसी जगह देखते रहेंगे
और यही वजह है कि
मैं लिखता हूँ ।
(बिल जॉन्सन के अंग्रेज़ी अनुवाद के आधार पर )