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"नदी के ख़्वाब दिखायेगा तश्नगी देगा / अखिलेश तिवारी" के अवतरणों में अंतर

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नदी के ख़्वाब दिखायेगा तश्नगी देगा
खबर न थी वो हमें ऐसी बेबसी देगा

नसीब से मिला है इसे हर रखना
कि तीरगी में यही ज़ख्म रौशनी देगा

तुम अपने हाथ में पत्थर उठाये फिरते रहो
मैं वो शजर हूँ जो बदले में छाँव ही देगा