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साँचा:KKPoemOfTheWeek

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<div style="border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>
आतंक और बर्बरता से शुरू हुई नई सदी
धार्मिक उन्माद और बर्बर हमले बने पहचान इक्कीसवीं सदी के
बदा था इक्कीसवीं सदी की क़िस्मत में
मरते जाना हर दिन बेगुनाह लोगों का
हज़ार बरस पीछे ढकेलने का षड्यन्त्र ! आख़िर किया किसने ?किसने ? किसने ढकेला जीवन के बुनियादी हक़ों को हाशिए पर ?
क्या सचमुच
इक्कीसवीं सदी उन्माद और युद्धोन्माद की सदी होगी या
होगी उजड़ते संसार में एक हरी पत्ती की तरह ?
</div>
</div></div>
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