भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देखो री हरि भोजन खात / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} {{KKAn...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:12, 20 मई 2014 के समय का अवतरण

देखो री हरि भोजन खात।
सहस्त्र भुजा धर इत जेमत हे दूत गोपन से करत हे बात॥१॥
ललिता कहत देख हो राधा जो तेरे मन बात समात।
धन्य सबे गोकुल के वासी संग रहत गोकुल के तात॥२॥
जेंमत देख मंद सुख दीनो अति आनंद गोकुल के नर नारी।
सूरदास स्वामी सुखसागर गुण आगर नागर दे तारी॥३॥