भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हालरौ हलरावै माता / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} {{KKAn...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:19, 20 मई 2014 के समय का अवतरण

हालरौ हलरावै माता ।
बलि बलि जाऊँ घोष सुख दाता ॥१॥
जसुमति अपनो पुन्य बिचारै ।
बार बार सिसु बदन निहारै ॥२॥
अँग फरकाइ अलप मुसकाने ।
या छबि की उपना को जानै ॥३॥
हलरावति गावति कहि प्यारे ।
बाल दसा के कौतुक भारे ॥४॥