भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दृढ इन चरण कैरो भरोसो, दृढ इन चरणन कैरो / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} {{KKAn...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:36, 20 मई 2014 के समय का अवतरण

दृढ इन चरण कैरो भरोसो, दृढ इन चरणन कैरो
श्री वल्लभ नख चंद्र छ्टा बिन, सब जग माही अंधेरो । भरोसो…
साधन और नही या कलि में, जासों होत निवेरो । भरोसो….
सूर कहा कहे, विविध आंधरो, बिना मोल को चेरो । भरोसो……