भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:04, 21 मई 2014 के समय का अवतरण

मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती ॥ध्रु०॥
सुनीरी सखी श्रवण दे अब तुजेही बिधि हरिमुख राजती ॥१॥
करपल्लव जब धरत सबैलै सप्त सूर निकल साजती ॥२॥
सूरदास यह सौती साल भई सबहीनके शीर गाजती ॥३॥