भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"संबंध / पुष्पिता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुष्पिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:13, 25 मई 2014 के समय का अवतरण
तुम्हारी आवाज़ की चिट्ठी
पढ़वाती हूँ
हवाओं से
और तुम्हारी साँस-सुख महसूस करती हूँ
वृक्षों से
और तुम्हारे अस्तित्व में विलीन हो जाती हूँ
सूर्य से
और तुम्हारा प्रणय ताप रक्त में जी लेती हूँ
मेघों से
और तुम्हारे विश्वासालिंगन में सिमट जाती हूँ
तुम्हारी छवि परछाईं के
रोम रोम के दर्पण में
उतर जाती हैं पुतलियाँ
महुए-से चुए
तुम्हारे शब्दों से
सूँघती हूँ प्रणय की सुगंध।