भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अंतर्ध्वनि / पुष्पिता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुष्पिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:12, 26 मई 2014 के समय का अवतरण
औरत
चुप रही
दुनिया बोलती रही।
ऐसे ही
एक सदी बीत गई।
औरत
सुनती रही है
दुनिया के खोखले
और डरावने शब्द।
बच्चे
जिन्हें मुखौटा कहते हैं।