भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जैसे कि जीवद्रव्य / महेश वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKa...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:33, 28 मई 2014 के समय का अवतरण
अपनी उंगलियों से मेरी हथेली पर लिखे वह शब्द
कोई नाम लिखो
फिर मुझे एक कूटशब्द लिखने दो अपने हाथ पर
या पीठ पर
कहीं भी
फिर एक चुंबन लिखो एकाकी चांद पर ताकि मैं
फिर से उसी जगह पर उन्हीं अक्षरों पर दोहराकर लिख
सकूँ अपना चुंबन
आकाश कहाँ लिखा है?
मेरे या कि तुम्हारे वक्ष पर?
अब इस आकाश पर एक सूर्य लिखो
अनगिनत तारे, बादल और हवा लिखो
और मुझे आंकने दो अपने हिस्से की आकाश गंगा
फिर मेरे माथे पर अपना भाग्य लिखो
मैं तुम्हारे माथे पर पढूंगा अपना भाग्य
लेकिन सबसे पहले मेरे लिए एक जीवन लिखो.
शुरूआत में मेरी पहली कोशिका लिखो
और इसमे तीर से
महत्वपूर्ण हिस्सों को नामांकित करो : जैसे की जीवद्रव्य.