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"फूल / महेश वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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11:41, 28 मई 2014 के समय का अवतरण

वसंत से एक पीला फूल तोड़कर मैंने
अगले मौसमों के लिये रख लिया
जहां किताब में था वहां एक पीला धब्बा छोड़कर
वह सूर्य हुआ

इसी तरह उड़हुल का सुर्ख फूल
वर्षा से तोड़कर रख लिया शिशिर के लिये
पहले इससे मौसम का सीना दहका
फिर वह भी सूर्य हुआ

एक और मौसम का अनुभव भी मिलता जुलता ही है
बस फर्क ये कि यहां एक सफेद फूल था

रंगों से अधिक
सूरज का नाता फूलों से है
इसी से रात में फूल
उदास दिखते हैं।