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"रुखसाना का घर-4 / अनिता भारती" के अवतरणों में अंतर

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09:29, 29 मई 2014 के समय का अवतरण

पिछले पंद्रह दिन दिन से
हमारे पास खाने के लिए कुछ नही है
कहती है रुखसाना
दिल-दिमाग में चल रहे झंझावात से
लड़कर निष्कर्ष निकालती है रुखसाना
दंगे होते नही करवाएं जाते है
हम जैसों का वजूद रौंदने के लिए
जो रात-दिन पेट की आग में खटते हुए
अपने होने के अहसास की लड़ाई लड़ रहे है