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"वही त्रिलोचन है / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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वही त्रिलोचन है, वह-जिस के तन पर गंदे
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वही त्रिलोचन है, वह-जिस के तन पर गंदे<br>
कपड़े हैं। कपड़े भी कैसे- फटे लटे हैं
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कपड़े हैं। कपड़े भी कैसे- फटे लटे हैं<br>
यह भी फैशन है, फैशन से कटे कटे हैं.
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यह भी फैशन है, फैशन से कटे कटे हैं.<br>
कौन कह सकेगा इसका जीवन चंदे
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पर अवलंबित है. चलना तो देखो इसका-
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पर अवलंबित है. चलना तो देखो इसका-<br>
उठा हुआ सिर, चौड़ी छाती, लम्बी बाहें,
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उठा हुआ सिर, चौड़ी छाती, लम्बी बाहें,<br>
सधे कदमस तेजी, वे टेढ़ी मेढ़ी राहें
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सधे कदमस तेजी, वे टेढ़ी मेढ़ी राहें<br>
मानो डर से सिकुड़ रही हैं, किस का किस का
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मानो डर से सिकुड़ रही हैं, किस का किस का<br>
ध्यान इस समय खींच रहा है. कौन बताए,
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ध्यान इस समय खींच रहा है. कौन बताए,<br>
क्या हलचल है इस के रुंघे रुंधाए जी में
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कभी नहीं देखा है इसको चलते धीमे.
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कभी नहीं देखा है इसको चलते धीमे.<br>
धुन का पक्का है, जो चेते वही चिताए.
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धुन का पक्का है, जो चेते वही चिताए.<br>
जीवन इसका जो कुछ है पथ पर बिखरा है,
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जीवन इसका जो कुछ है पथ पर बिखरा है,<br>
 
तप तप कर ही भट्ठी में सोना निखरा है.
 
तप तप कर ही भट्ठी में सोना निखरा है.

19:19, 13 दिसम्बर 2007 का अवतरण

वही त्रिलोचन है, वह-जिस के तन पर गंदे
कपड़े हैं। कपड़े भी कैसे- फटे लटे हैं
यह भी फैशन है, फैशन से कटे कटे हैं.
कौन कह सकेगा इसका जीवन चंदे
पर अवलंबित है. चलना तो देखो इसका-
उठा हुआ सिर, चौड़ी छाती, लम्बी बाहें,
सधे कदमस तेजी, वे टेढ़ी मेढ़ी राहें
मानो डर से सिकुड़ रही हैं, किस का किस का
ध्यान इस समय खींच रहा है. कौन बताए,
क्या हलचल है इस के रुंघे रुंधाए जी में
कभी नहीं देखा है इसको चलते धीमे.
धुन का पक्का है, जो चेते वही चिताए.
जीवन इसका जो कुछ है पथ पर बिखरा है,
तप तप कर ही भट्ठी में सोना निखरा है.