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"आशंका / निज़ार क़ब्बानी" के अवतरणों में अंतर
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23:34, 31 मई 2014 के समय का अवतरण
मैं डरता हूँ
तुम्हारे सामने
अपने प्रेम का इजहार करने से ।
सुना है
जब चषक में ढाल दी जाती है शराब
तो उड़ जाती है उसकी सुवास ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह