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"आशंका / निज़ार क़ब्बानी" के अवतरणों में अंतर

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मैं कोई शिक्षक नहीं हूँ
+
मैं डरता हूँ
जो तुम्हें सिखा सकूँ
+
तुम्हारे सामने
कि कैसे किया जाता है प्रेम !
+
अपने प्रेम का इजहार करने से
मछलियों को नहीं होती शिक्षक की दरकार
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जो उन्हें सिखलाता हो तैरने की तरक़ीब
+
और पक्षियों को भी नहीं
+
जिससे कि वे सीख सकें उड़ान के गुर
+
  
तैरो-- ख़ुद अपनी तरह से
+
सुना है
उड़ो-- ख़ुद अपनी तरह से
+
जब चषक में ढाल दी जाती है शराब
प्रेम की पाठ्य-पुस्तकें नहीं होतीं
+
तो उड़ जाती है उसकी सुवास
और इतिहास में दर्ज़
+
सारे महान प्रेमी हुआ करते थे--
+
निरक्षर
+
अनपढ़
+
अँगूठा-छाप ।  
+
  
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह'''
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह'''
 
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23:34, 31 मई 2014 के समय का अवतरण

मैं डरता हूँ
तुम्हारे सामने
अपने प्रेम का इजहार करने से ।

सुना है
जब चषक में ढाल दी जाती है शराब
तो उड़ जाती है उसकी सुवास ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह