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"करतलसों ताली देत, राम मुख बोली / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर
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(राग तिलककामोद ताल कहरवा)
करतलसों ताली देत, राम मुख बोली।
बस जली तुरत पातक-पुञ्जोंकी होली॥