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"न सोचा न समझा न सीखा न जाना / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर
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प 'मीर' अब नहीं आयेगा वोह ज़माना | प 'मीर' अब नहीं आयेगा वोह ज़माना | ||
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16:41, 11 जून 2014 के समय का अवतरण
न सोचा न समझा न सीखा न जाना
मुझे आ गया ख़ुदबख़ुद दिल लगाना
ज़रा देख कर अपना जल्वा दिखाना
सिमट कर यहीं आ न जाये ज़माना
ज़ुबाँ पर लगी हैं वफ़ाओं कि मुहरें
ख़मोशी मेरी कह रही है फ़साना
गुलों तक लगायी तो आसाँ है लेकिन
है दुशवार काँटों से दामन बचाना
करो लाख तुम मातम-ए-नौजवानी
प 'मीर' अब नहीं आयेगा वोह ज़माना