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"कुशल वैद्य होते हैं बच्चे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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23:52, 29 जून 2014 के समय का अवतरण

चित्त उदास और मन चंचल,

हो तो यह कर डालें|

चलकर किन्हीं सड़क गलियों में,

बच्चा गोद गोद उठा लें|

 

बच्चे को गुदगुदी लगाकर,

उसको खूब हँसा लें|

वह लग जाये ठिल ठिल करने,

तो खुद भी मुस्करा लें|

 

खुशियों के उन, मुक्त पलों को,

आंखों में बैठा लें|

कुशल वैद्य होते हैं बच्चे,

बस इलाज करवा लें|