भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बुखार की दवा / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatBaalKavita}}
 
{{KKCatBaalKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
कुत्ता बोला,बिल्ली दीदी, मुझको चढ़ा बुखार|
+
कुत्ता बोला, बिल्ली दीदी, मुझको चढ़ा बुखार|
यदि हो सके संभव तो ,कोई दवा करो तैयार||
+
यदि हो सके संभव तो, कोई दवा करो तैयार||
  
बिल्ली बोली ,भौंक भौंक कर, तुम होते बीमारा|
+
बिल्ली बोली, भौंक भौंक कर, तुम होते बीमारा|
बंद रखोगे मुँह तो होगी , बीमारी की हार||
+
बंद रखोगे मुँह तो होगी, बीमारी की हार||
  
यदि छोड़ दो पीछा करना,तुम निरीह लोगोंका|
+
यदि छोड़ दो पीछा करना, तुम निरीह लोगोंका|
कुत्ता भाई निश्चित तुम पर ,कभी न ताप चढ़ेगा||
+
कुत्ता भाई निश्चित तुम पर, कभी न ताप चढ़ेगा||
 
</poem>
 
</poem>

09:59, 30 जून 2014 के समय का अवतरण

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

कुत्ता बोला, बिल्ली दीदी, मुझको चढ़ा बुखार|
यदि हो सके संभव तो, कोई दवा करो तैयार||

बिल्ली बोली, भौंक भौंक कर, तुम होते बीमारा|
बंद रखोगे मुँह तो होगी, बीमारी की हार||

यदि छोड़ दो पीछा करना, तुम निरीह लोगोंका|
कुत्ता भाई निश्चित तुम पर, कभी न ताप चढ़ेगा||