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"खुला पुस्तकालय जंगल में / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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बालवाटिका पढ़ पढ़कर, कालू बंदर हो गये विद्वान| | बालवाटिका पढ़ पढ़कर, कालू बंदर हो गये विद्वान| | ||
− | इसी बात का हाथीजी ने ,शेर चचा का खींचा ध्यान| | + | इसी बात का हाथीजी ने, शेर चचा का खींचा ध्यान| |
देखो तो यह कालू बंदर, पढ़ लिखकर हो गया महान| | देखो तो यह कालू बंदर, पढ़ लिखकर हो गया महान| | ||
− | हम तो मात्र हिलाते रह गये ,अपने पूँछ गला और कान| | + | हम तो मात्र हिलाते रह गये, अपने पूँछ गला और कान| |
− | बाल वटिका बुलवाने का ,खुलकर किया गया एलान| | + | बाल वटिका बुलवाने का, खुलकर किया गया एलान| |
शाल ओढ़ाकर बंदरजी का, किया गोष्ठी में सम्मान| | शाल ओढ़ाकर बंदरजी का, किया गोष्ठी में सम्मान| | ||
पढ़ने लिखने से ही आता, है दुनियादारी का ग्यान| | पढ़ने लिखने से ही आता, है दुनियादारी का ग्यान| | ||
खुला पुस्तकालय जंगल में, पढ़ते हैं सब चतुर सुजान| | खुला पुस्तकालय जंगल में, पढ़ते हैं सब चतुर सुजान| | ||
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10:11, 30 जून 2014 के समय का अवतरण
बालवाटिका पढ़ पढ़कर, कालू बंदर हो गये विद्वान|
इसी बात का हाथीजी ने, शेर चचा का खींचा ध्यान|
देखो तो यह कालू बंदर, पढ़ लिखकर हो गया महान|
हम तो मात्र हिलाते रह गये, अपने पूँछ गला और कान|
बाल वटिका बुलवाने का, खुलकर किया गया एलान|
शाल ओढ़ाकर बंदरजी का, किया गोष्ठी में सम्मान|
पढ़ने लिखने से ही आता, है दुनियादारी का ग्यान|
खुला पुस्तकालय जंगल में, पढ़ते हैं सब चतुर सुजान|